Friday, May 22, 2009

"समय"




समय नही था पास मेरे ,
समय से काफी दूर था मैं,
करता क्या याद तेरी
जिंदगी से मजबूर था मैं //१//

आज भी याद है वो भीगी रातें,
मीठी-मीठी प्यारी बातें,
जब तू थी हरदम खुश रहती,
और जिंदगी से भरपूर था मैं //२//

तुने मुझको ग़लत था समझा,
कर गई मेरी जिंदगी तनहा,
तुने कैसे था ये सोचा,
सारा ही कसूर था मैं //३//

अब भी तेरी याद है आती,
तेरी ही फरियाद है लाती,
तुझे भूल कर कैसे जिउ,
तेरा ही तो नूर था मैं //४//

अब तनहा रहना सीख गया हु,
तुझ बिन जीना सीख गया हु,
नही थी साड़ी गलती तेरी,
हा थोड़ा सा मगरूर था मैं //५//

समय नही था पास मेरे ,
समय से काफी दूर था मैं,
करता क्या याद तेरी,
जिंदगी से मजबूर था मैं //६//







7 comments:

  1. ठीक-ठाक शुरुआत...

    शुभकामनाएं...

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  2. मेरे पास काफ़ी समय है मित्र.
    बेहतर भावाव्यक्ति.

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  3. हिंदी ब्लॉग की दुनिया में आपका स्वागत है...

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  4. mujhe to sachhi blv nhi ho rha ki tumne ye likhi h par achha likha h

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  5. बहुत सुंदर रचना है आपकी दिल में कुछ यादें और छा गई है

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