Sunday, August 30, 2009

" दिल की बातें "

" न मैं शेर लिखता हु , न मैं ग़ज़ल सुनाता हु,
मैं तो लोगो को सिर्फ़ उनकी आपबीती बताता हु //
दिल की बातें जो आखो से बयां होती हैं,
मैं तो उन्हें सिर्फ़ कलम से दोहराता हु " //१//

Saturday, June 20, 2009

"तस्वीर"

"सुना है वो मेरी तस्वीर बनाती है,
बंद आखो में भी सपने सजाती है
उसके जीने का अंदाज़ ही जुदा है,
बिना होठ हिलाए ही सब कुछ कह जाती है "//

Sunday, June 7, 2009

"मैं हु ही ऐसा"

इसको देखा, उसको देखा,
उसको देखा, तुमको देखा,
तुमको देखा, सबको देखा,
पर नही मिला कोई मेरे जैसा,
शायद मैं हु ही ऐसा //१//

लोगो को भूख से मरते देखा,

सब कुछ मैंने करके देखा,
जिंदगी बन गई है धोखा,
जिसके पास नही है पैसा,
शायद में हु ही ऐसा //२//

परवाने को जलते देखा,
भवरे को है मरते देखा,
फूलो को भी लुटते देखा,
पर लुटा न कोई मेरे जैसा,
शायद में हु ही ऐसा //३//

मन्दिर- मस्जिद जाके देखा ,
वैद- कुरान उठा के देखा ,
लोगो ने भगवान् को देखा ,
पर नही मिला कोई इंसान के जैसा,
शायद में हु ही ऐसा //४//

उसने मुझको फिर बुलाया,
दिल पर एक शुरुर सा छाया,
फिर वही चाय का प्याला आया,
पर नही मिला में उसके जैसा,
शायद में हु ही ऐसा //५//

जब भी उसको पाना चाहा,
उसको ये बतलाना चाहा,
लोगो को ये कहते देखा,
नही हु में उसके जैसा,
शायद में हु ही ऐसा //६//

अब तन्हाई में जीता हु,
खाता हु न कुछ पीता हु,
बिन मांगे ही पाया सब कुछ,
पर न जाने हो गया हु कैसा,
शायद में हु ही ऐसा //७//

Monday, May 25, 2009

" एक दिन "

" सोचता हु आज फिर उसके पास जाऊ ,
कम से कम अपने सपने तो वापस ले आऊ /
कब तलक उसकी यादो में जिऊंगा मैं ,
एक दिन तो अपने लिए भी बिताऊ" //

" जीने की राह "

जब सपनो में आकर कोई मंजिल मुझे बताता है ,
अपने आगन में पाकर उसे , हर्षित मन हो जाता है //
जीवन एक कठिन डगर है, यही तो उसका कहना है ,
ख्वाबो में रहकर भी दूर उसी से रहना है //
एक नया प्रवाह देकर वो वापस जाना चाहता है ,
ख्वाबो में रहकर भी वो ख्वाब ही रहना चाहता है //
अध्याय जब शुरू हुआ तो, अंत कही तो होना है ,
जीवन चाहे कैसा भी हो , एक न एक दिन खोना है //
दूसरो को जीवन देकर , हर्षित मन हो जाता है ,
जब सपनो में आकर कोई, जीने की राह दिखाता है //


Friday, May 22, 2009

"समय"




समय नही था पास मेरे ,
समय से काफी दूर था मैं,
करता क्या याद तेरी
जिंदगी से मजबूर था मैं //१//

आज भी याद है वो भीगी रातें,
मीठी-मीठी प्यारी बातें,
जब तू थी हरदम खुश रहती,
और जिंदगी से भरपूर था मैं //२//

तुने मुझको ग़लत था समझा,
कर गई मेरी जिंदगी तनहा,
तुने कैसे था ये सोचा,
सारा ही कसूर था मैं //३//

अब भी तेरी याद है आती,
तेरी ही फरियाद है लाती,
तुझे भूल कर कैसे जिउ,
तेरा ही तो नूर था मैं //४//

अब तनहा रहना सीख गया हु,
तुझ बिन जीना सीख गया हु,
नही थी साड़ी गलती तेरी,
हा थोड़ा सा मगरूर था मैं //५//

समय नही था पास मेरे ,
समय से काफी दूर था मैं,
करता क्या याद तेरी,
जिंदगी से मजबूर था मैं //६//







Friday, May 15, 2009

जिक्र

जिक्र भी मेरा उसे मंज़ूर नही ,
पर चाहती है की हम रहे उनसे दूर नही /
किस कदर हम उनसे कुछ कह पते ,
आख़िर हम तो यहाँ उनकी तरह मशहूर नही //

Wednesday, May 13, 2009

ख्वाब और सच्चाई

एक बार रात को हम सैर पर निकल पडे,
उस सैर में हम जिंदगी से आगे चल पड़े /
रस्ते में हमें एक इंसान मिला,
सुंदर और जवान मिला //
हमने पूछा,
कौन हो तुम,
वो बोला-
तुम मुझे नही जानते ,

मैं ही लोगो की जिंदगी को रंगीन बनता हु,
बैठे-बैठे ही उन्हें दूर-दराज की सैर करता हु / /
मेरी वजह से ही
गरीबी और अमीरी के बीच की खाई दूर होती है ,
मेरी वजह से ही जिंदगी भरपूर होती ही,
मेरी वजह से ही गरीब आदमी सपने सजोता है ,
और भूखा रहने के बावजूद चैन से सोता है,
मेरी वजह से ही जिंदगी में रुबाब होता है /
असल में मेरा नाम ही ख्वाब होता है //
मैंने कहा-

तुम ही ख्वाब हो ,
जो आदमी को पागल बनता है ,
और गरीब आदमी को भी भरपेट खाना मिलने का झुटा सपना दिखलाता है /

ख्वाब बोला मैं झूठा ही सही,

पर तुम्हारी सच्चाई से तो अच्छा हु /

तुम्हारी सच्चाई-

गरीबो और अमीरों के बीच अन्तर बनती है ,

जबकि मैं गरीबो और अमीरों को जोड़ता हु ,

झूठे ख्वाब ही दिखलाता हु ,

पर गरीबो के चेहरे पर कुछ पल के लिए ही सही ,

हसी तो छोड़ता हु //

Sunday, May 10, 2009

एहसास


आज फिर उनका दीदार हुआ,
सोचा तो बहुत फिर प्यार हुआ,
बहुत साल पहले हमने सोचा था -
हम जिंदगी यू ही काटेंगे,
अपने इन हसीं लम्हों को नही किसी से बाटेंगे,
पर -
उससे देख कर लगा ये मेरे लिए ही बनी है,
येही मेरे जीवन की अन्तिम कड़ी है,
आँखों में उसके एक अजीब सी गहराई थी,
बातो में उसके एक अजीब सी तन्हाई थी,
चलते हुए जो बालो की लत उड़ती थी,
लगता था ऐसे जैसे धुप सिकुड़ती थी,
दिल में सबके उमंग जागने लगी,
आँखों में सबके तरंग उठने लगी,
सबने उसको अलग-अलग अंदाज दिखाए,
पर उसे किसी के अंदाज न भाये,
हमें भी एक आस जगी,
हमें भी किसी की प्यास लगी,
हमने उससे से इकरार किया,
पहले तो उसने इनकार किया,
फिर उससे भी इकरार हुआ,
फिर हम दोनों को प्यार हुआ,
आज फिर उनका दीदार हुआ/
सोचा तो बहुत फिर प्यार हुआ//
हमारी जिंदगी भी अब काटने लगी,
बातें हमारी भी बनने लगी,
अब हम भी चर्चा में आम हो गए,
हस कर उनसे बोला था हमने,
और सब जगह हम बदनाम हो गए,
एक दिन हमने , उन्हें बुलाया और समझाया,
मिलने का सिलसिला अब ख़तम कर दो,
छत पर जन भी अब बंद कर दो,
किसी को भी ये अहसास मत रहने दो,
अब हमें अपना खास मत रहने दो,
आखो से उसके आसू बहने लगे,
चुप रहकर भी बहुत कुछ कहने लगे,
उन्होंने कहा-कुछ साल पहले हमें किसी ने एक शेर सुनाया था-
जो आज तक हमें समझ नही आया
था,"छोटा सा किस्सा है जो ख़तम नही होता,
जितना भी जलती हु पर भस्म नही होता"
आज हमें ये शेर समझ आ गया,
जो न सोचा था वो हमने पा लिया,
ये किस्सा हम येही ख़तम कर देंगे,
जिंदगी के दरवाजे हमेशा के लिए बंद कर लेंगे//
हमने सोचा-
अब हम अपनी पुराणी गलतिया नही दौह्रायेंगे,
अब किसी को अपना नही बनायेंगे,
पर कुछ साल बाद-
हमारे साथ एक घटना घटी,
हमें एक लड़की मिली,
उसकी बातो में एक जादू सा एहसास था,
शायाद उसमे कुछ ख़ास था,
उसे देखकर-
जिंदगी में फिर पतझर से बहार हुआ,
सोचा तो बहुत फिर प्यार हुआ,
आज हमें फिर उनका दीदार हुआ/
सोचा तो बहुत फिर प्यार हुआ//