" न मैं शेर लिखता हु , न मैं ग़ज़ल सुनाता हु, मैं तो लोगो को सिर्फ़ उनकी आपबीती बताता हु // दिल की बातें जो आखो से बयां होती हैं, मैं तो उन्हें सिर्फ़ कलम से दोहराता हु " //१//
प्रशंसनीय लेखन के लिए बधाई। =================== "हर तरफ फागुनी कलेवर हैं। फूल धरती के नए जेवर हैं॥ कोई कहता है, बाबा बाबा हैं- कोई कहता है बाबा देवर है॥" ==================== क्या फागुन की फगुनाई है। डाली - डाली बौराई है॥ हर ओर सृष्टि मादकता की- कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥ ============================= होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
nice man keep it up
ReplyDeletewow wonderful...
ReplyDeletekya bat hai bandhu...
ReplyDeletekya khoob kaha hai...
nice one dear.. loving it
ReplyDeleteसीधी सच्ची और बहुत अच्छी बात
ReplyDeleteप्रशंसनीय लेखन के लिए बधाई।
ReplyDelete===================
"हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
फूल धरती के नए जेवर हैं॥
कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
कोई कहता है बाबा देवर है॥"
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क्या फागुन की फगुनाई है।
डाली - डाली बौराई है॥
हर ओर सृष्टि मादकता की-
कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
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होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी