Sunday, August 30, 2009

" दिल की बातें "

" न मैं शेर लिखता हु , न मैं ग़ज़ल सुनाता हु,
मैं तो लोगो को सिर्फ़ उनकी आपबीती बताता हु //
दिल की बातें जो आखो से बयां होती हैं,
मैं तो उन्हें सिर्फ़ कलम से दोहराता हु " //१//

6 comments:

  1. सीधी सच्ची और बहुत अच्छी बात

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  2. प्रशंसनीय लेखन के लिए बधाई।
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    "हर तरफ फागुनी कलेवर हैं।
    फूल धरती के नए जेवर हैं॥
    कोई कहता है, बाबा बाबा हैं-
    कोई कहता है बाबा देवर है॥"
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    क्या फागुन की फगुनाई है।
    डाली - डाली बौराई है॥
    हर ओर सृष्टि मादकता की-
    कर रही मुफ़्त सप्लाई है॥
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    होली के अवसर पर हार्दिक मंगलकामनाएं।
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

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